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Friday, June 1, 2018

संज्ञा की परिभाषा (Sangya Ki Paribhasha)

संज्ञा की परिभाषा :

संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव के नाम का बोध होता है।  अर्थात, किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव को हम जिस नाम से पुकारते हैं, उसे संज्ञा कहते हैं।

संज्ञा के प्रकार:

संज्ञा के मुख्यत: दो प्रकार होते हैं:

1. पदार्थवाचक संज्ञा
2. भाववाचक संज्ञा

1. पदार्थवाचक संज्ञा: पदार्थवाचक संज्ञा वो होती है जिससे किसी पदार्थ का या पदार्थों के समूहों का बोध होता है।  अन्य शब्दों में पदार्थ या पदार्थों के समूहों को नाम देने के लिए हम जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं वो  पदार्थवाचक संज्ञा कहलाते हैं। यहाँ पदार्थ और पदार्थों के समूह में हम व्यक्तियों, वस्तुओं और स्थानों को शामिल करते हैं।  अतएव व्यक्तियों, वस्तुओं और स्थानों के बोध के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है वो पदार्थवाचक संज्ञा कहलाते हैं।

पदार्थवाचक संज्ञा के कुछ उदाहरण:

नरेंद्र, गीता, पुस्तक, आगरा, हाथी, घोड़ा, नदी, पहाड़, ग्रह,  इत्यादि।

पदार्थवाचक  संज्ञा के भी दो भेद होते हैं

(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा 
(ख) जातिवाचक संज्ञा 

(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा:  जिसमें एक ही पदार्थ या पदार्थों के एक ही समूह का बोध होता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। अर्थात किसी एक व्यक्ति, वस्तु या स्थान के बोध के लिए जिन नामों का प्रयोग किया जाता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के कुछ उदाहरण:

मोहन, सीता, राम, सुदामा, आगरा, दिल्ली, इंदौर, गोवा, पहिया, कलम, इत्यादि।

(ख) जातिवाचक संज्ञा : जब कोई शब्द किसी जाति के सभी पदार्थों या उन पदार्थों के समूहों का बोध कराता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। अर्थात व्यक्तियों, वस्तुओं या स्थानों के समूहों का बोध कराने वाले शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहा जाता है।

जातिवाचक संज्ञा के कुछ उदाहरण:

नदी, पर्वत, मनुष्य, गाय, बकरी, शहर, गांव, मकान, बस, कार इत्यादि।

2. भाववाचक संज्ञा : व्यक्तियों, वस्तुओं, स्थानों में पाए जाने वाले किसी भाव या गुण का बोध कराने वाले शब्दों को भाववाचक संज्ञा कहते हैं।


मिठास, कालिमा, लालिमा, क्रोध, निराशा, नम्रता, बुढ़ापा, लम्बाई, प्रेम, ईर्ष्या इत्यादि।